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Iman Wale Or Mushrikon Ki Pehchan
ईमान वाले और मुस्रीको कि पहेचान
कूरान सूराह बकाराह आयत न.
और बाज़ लोग ऐसे भी हैं जो अल्लाह के सिवा औरों को भी अल्लाह का मिसल व शरीक बनाते हैं (और) जैसी मोहब्बत अल्लाह से रखनी चाहिए वैसी ही उन से रखते हैं और जो लोग *ईमानवाले हैं वह उन से कहीं बढ़ कर अल्लाह की मुहब्बत रखते है । और काश ज़ालिमों को (इस वक्त) वह बात सूझती जो अज़ाब देखने के बाद सूझेगी कि यक़ीनन हर तरह की क़ूवत अल्लाह ही को है और ये कि बेशक अल्लाह बड़ा सख्त अज़ाब वाला है
इस आयत मे अल्लाह ने ईमान वाले ओर मुस्रीक कि शीफात बयान कि है
कूरान सूराह गाफीर आयत न 12
ये बूरा अंजाम इसलिये सामने आयेगा जब *अकेला अल्लाह को पुकारा जाता था तो तुम ईन्कार करते हो । और अगर उसके साथ शरीक किया जाता था तो तुम मान लेते हो।* तो अब फैसला अल्लाह ही के हाथ मे है जो आलीशान (और) बुर्ज़ुग है ।
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इस आयत मे अल्लाह ने मुस्रीको कि सीफात बयान कि है
ये नसीहत उन लोगो के लिए है जो ये नारा लगाते है ।
या रसूल (ﷺ) मदद
या अली मदद
या ख्वजा मदद
या हसन मदद
या हुसेन मदद
या गॉस मदद
सिर्फ़ या अल्लाह मदद
सिर्फ़ गैबा ना मदद अल्लाही को पुकारना ओर उसीसे मदद माँगना नसीहत
*कूरान सूराह जिन्न आयत न.20*
कह दो ए नबी (ﷺ) “मैं तो बस अपने *रब ही को पुकारता हूँ, और उसके साथ किसी को *शरीक नहीं ठहराता।”*
*कूरान सूराह अनाम आयत न.82*
“जो लोग ईमान लाए और अपने ईमान में किसी *(शिर्क)*ज़ुल्म की मिलावट नहीं की, वही लोग है जो खौफ मुक्त है और वही सीधे राह पर हैं।”
ये सीफात उन लोगो कि है जो सिर्फ़ अल्लाह ही कि ईबादात करते है ओर उसके साथ किसी को शरीक नही ठेराते है
ये राह मुस्रीको कि सीफात
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कूरान सूराह युसुफ आयत न 106
इनमें अक्सर लोग *अल्लाह को मानते भी है* तो इस तरहा शरीक भी ठहराते है।
ईमान वालो कि सीफात
कूरान अल-अनआम आयत न.162
कहो, “मेरी नमाज़ और मेरी क़ुरबानी और मेरा जीना और मेरा मरना सब अल्लाह के लिए है, जो सारे जहाँ का रब है
ये रहा अल्लाह का नसीहत गैरूल्लह के नाम पर जो जानवर ज़बाह करते है
ये रहा नसीहत मौजूदा मुस्रीको को जो कहते है ये आयते हमारे लिये नही ये पहले के मुस्रीक को के बारे मे कहा गया है
कूरान सूराह अन-नह्ल न.24
और जब उनसे कहा जाता है कि “तुम्हारे रब ने क्या नाजील किया है?” कहते है, “वे तो *पहले लोगों की कहानियाँ है।”*
यानी मक्का के मुस्रीकभी यही दलील बनाते थे जो आजके मुस्रीक दलील बनाते है ।
नसीहत नबी (ﷺ) का सहाबा र. जी.अ को देते हूए
जामिया तीर्मीजी हदीस न.2516
इब्ने अब्बास रजीअल्लाह अनहू फ़रमाते हे मैंने एक दिन नबी (ﷺ) के साथ सवारी पर पीछे था आप (ﷺ) ने फरमाया ए लड़के बेशक मे तुम्हे चंद अहम बाते बतलारहा हू तुम अल्लाह के अह्कम की हिफाजत करो वो तुम्हारी हिफाजत करेगा तूम अल्लाह के हूकूक का खियाल रखो इससे तुम अपने सामने पाओगे *जब तुम मदद चाहो तो सिर्फ अल्लाह से मदद तलब करो*और येह बात जानलो अगर सारी दून्या के लोगभी जमा होकर तुम्हे इस से ज़्यदाभी नफ़ा नही पहुंचा सकते जो अल्लाह ने दीया है
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नसीहत नबी (ﷺ) का उम्मत को
हदीस सही बुखारी हदीस न.4497
अब्दुल्लाह बीन मसूद र.जी अ.से रिवायत है नबी (ﷺ)ने फरमाया *जिसने दूवा मे गैरूल्लह को पुकारा (यानी अल्लाह के साथ किसी को शरीक ठेरया )वो जहन्नम मे जायेगा ओर जिसने नही पुकारा वो जन्नत मे जयेगा ।
अल्लाह का फ़रमान
कूरान सूराह निशा आयत न.48
और अल्लाह का हुक्म है शीर्क के सिवा जिसे चाहे माफ करदेगा उस गुनाह को कभी नही माफ करेगा जिसने अल्लाह के साथ किसीको शरीक ठेरया
कूरान सूराह मईदा आयत न.72
*जो कोई अल्लाह का शरीक ठहराएगा, उसपर तो अल्लाह ने जन्नत हराम कर दी है* और उसका ठिकाना आग है। जालीमो का कोई मददगार नहीं।”
यानी *सिर्क कि माफी नही है* अल्लाह के बार्गाह मे ओर सिर्क के सिवा अल्लाह जिसे चाहे बक्श देगा ।
या अल्लाह हमे ओर ऊम्मते मुसलमानो को सिर्क से हिफाजत अता फरमा जो गुमराह होगये है उन्हे हिदायत फरमा ।ओर जबतक जिन्दा है हमे तौहीद पर रख हमारा *खात्मा तौहीद पर हो।*
आमीन…………….
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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