ज़ुहर की नमाज़ का वक़्त
जब हज़रात इब्राहीम अलैहिस्सलाम नमाज़ से बाहर तशरीफ़ लाए तो फ़ितरी तौर पर हक़ीक़ी माबूद की जुस्तजू हुई।
चुनांचे रात के वक़्त चाँद को देखा और उसकी चमन और रौशनी देख कर खुश हो कर कहने लगे यही मेरा रब है
लेकिन जब सुबह हुई सूरज निकला चाँद गायब हुआ तो सूरज को देख कर आपको पुख्ता यक़ीन हो गया कि यही मेरा खुदा है
और जब वह भी ढलने लगा तो कहा मैं शिर्क से बेज़ार हूँ।
और अब मैं अपना चेहरा उस ज़ात कि तरफ करता हूँ जिस ने चाँद सूरज,
ज़मीन आसमान बनाए आपने चार रकअतें नमाज़ अदा कीं और यही रकअतें मुसलमानों पर ज़ुहर के वक्त फ़र्ज़ कि गई।
(तारीख़े आलम सफ़ा न० 289)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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