Namazon Ke Waqt Or Unke Naam
फज़्र की नमाज़- खैर पौ फटने के बाद से सूरज निकलने से पहले तक।
ज़ुहर की नमाज़- दोपहर को सूरज ढलने के बाद। जब सब चीज़ों का साया उनके असली साय से दुगना हो जाए।
तो ज़ुहर का वक्त खत्म हो जाता है।
अस्र की नमाज़– ज़ुहर का वक्त ख़त्म होने के बाद अस्र का वक्त शुरू हो जाता है।
और सूरज डूबने तक रहता है।
मग़रिब की नमाज़- इसका वक्त सूरज डूबने के बाद शुरू हो जाता है।
और शाम की सुर्खी के बाद की सफ़ेदी के मिटने तक रहता है।
लेकिन इस नमाज़ को वक़्त होते ही फ़ौरन पढ़ लेनी चाहिए।
ईशा की नमाज़– शाम की सफ़ेदी गायब होने के बाद इसका वक़्त शुरू होता है
और सुबह सादिक़ यानी पौ फटने तक रहता है।
(तर्किबे नमाज़ सफ़ा न० 42)
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