Ek farz ke bare mein jamat ke irade se masjid jana
एक फ़र्ज के बारे में जमात के इरादे से मस्जिद जाना
रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया:
जो शख्स अच्छी तरह वुज़ू करे फ़िर मस्जिद में नमाज़ के लिए जाए
और वहां पहुँच कर मालूम हो के जमात हो चुकी,
फिर भी उस को जमात का सवाब होगा
और उस सवाब की वजह से उन लोगों के सवाब में कुछ कमी नहीं होगी,
जिन्होंने जमात से नमाज़ पढ़ी है।”
(अबू दाऊद: 564 अन अबी हुरैरा रज़ि.)
(पांच मिनट का मदरसा, सफ़ा न० 721)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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