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Bachche ka hajj or umrah
नाबालिग़ लड़के लड़कियों और दूध पीते बच्चों पर हज फ़र्ज़ नहीं है।
तो हम अक्सर लोग अपने अहलो अयाल के साथ अपने बच्चों को भी साथ ले जाते हैं।
यह उन बच्चों का नफ़्ली हज होगा।
छोटे बच्चों की तरफ़ से जो शख़्स उनके साथ हो उसे ऐहराम बांधे
और उस बच्चे की तरफ़ से एहराम की नियत करे।
अगर बच्चा खुद अरकाने हज अदा करने के काबिल हो तो खुद कराए वरना बाप,
भाई उसकी तरफ़ से अफ़आले हज अदा करे।
अगर ख़ुदा नख़्वास्ता बच्चे के बाज़ अफ़आल तर्क हो गये या बाप ने
उसकी तरफ़ से नीयत करके एहराम बांधा तो बच्चा या उसके वली पर कोई दम वग़ैरह वाजिब न होगा
क्योंकि बच्चे पर हज फ़र्ज़ नहीं था।
और वालिद ने चूंकि बच्चे की नीयत की थी
और उसकी ग़लती न थी इसलिए उस वली पर भी दम वाजिब न होगा।
अल्बत्ता तल्बिया दोनों की तरफ़ से कह सकता है।
(तारीख़े आलम सफ़ा न० 316)
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