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There are two types of Hijrath
There are two types of Hijrath
दो क़िस्म की हिजरत है
इरशाद फ़रमाया रसूल अल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने कि-
अफ़ज़ल हिजरत करने वाला वह है जो छोड़ दे उन बातों को जो अल्लाहतआला ने मना फरमायी हैं। (बुखारी शरीफ़)
फ़ायदा-
हिजरत उसको कहते हैं कि मुस्लमान काफिरों का मुल्क छोड़कर मुसलमानों के मुल्क में जाकर रहें।
इसलिए हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया कि-
यह एक ज़ाहिरी हिजरत है, जिसमें वतन छूट जाता है
और दूसरी जो बड़े दर्जे की बातिनी हिजरत है,
वह यह है कि इन्सान अल्लाहतआला की नाफ़रमानियों से हिजरत करे यानी सब बुरे कामों को छोड़ दे।
(बाग़े-जन्नत यानी ख़ुदाई बाग़ : सफ़ा न० 168)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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English Translaion
There are two types of Hijrath
Prophet (Sallallahu Alaihi Wasallam) Said:-
First is the person who abandons those things which Allah has forbidden.
(Bukhari Sharif)
Benefits –
Hijrath tells him to leave the Muslim infidels and go to the Muslim countries.
Therefore, Prophet (Sallallahu Alaihi Wasallam) Said:-
This is an physical Hijrath in which there is a loss of Place,
and the other is saying Hijrath in which that the person should avoid Allah’s disobedience people, ie leave all the bad deeds.
(Baghe-Jannat i.e. Khudai Bagh : Page No. 168)