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Jannat ke haseen manazir mutaliq chand zaruri baatein
जन्नत के हसीन मनाज़िर के मुताल्लिक़ चन्द ज़रूरी बातें
(1) जहां कहीं तर्ज़ुमा में अपनी तरफ़ से किसी बात का इज़ाफरा कर दिया गया है
और अगर फिर भी तफ़सीर (व्यख्या) कि ज़रूरत हो
या बात समझ में न आए तो उस जगह के बारे में आलिमों से मालूम कर लें।
(2) फ़ायदा के उनवान के तहत हदीस या रिवायत के बारे में मुफीद मालूमात
और जरुरी बातों को अर्ज़ किया गया है। अगर तशरीह की ज़रूरत थी तो उसका जवाब लिखा गया है।
अगर हदीसों से कुछ ख़ास मालूमात हासिल होतीं हैं तो उनको वाज़ेह किया गया है।
(3) इस किताब में हर तरह की हदीसें बयान की गयीं हैं,
जो सनद के ऐतिबार के कुछ कमज़ोर थीं उनको भी लिया गया है
क्योंकि यह फ़ज़ाइल की किताब है और इसका मक़सद नेक आमाल का शौक दिलाना और बुरे कामों से बचने की प्रेरणा देना है।
(4) अगर किसी हदीस पर मुहदीदसीन ने कुछ कलाम किया है
तो मुख़्तसर तौर पर कहीं-कहीं उसे भी पेश कर दिया गया है।
(5) जिस फ़ायदा पर कोई हवाला नहीं है तो समझ लीजिए की वह मुझ नाचीज़ (मौलाना इमदादुल्लाह अनवर) का लिखा हुआ है।
(6) अगर मज़मून किताबत या तर्जुमा की कोई गलती हो तो इत्तिला करने की मेहरबानी करें।
(7) कुछ जगहों पर उन हदीसों को दोबारा लाया गया है जिनके दोबारा बयान किए बग़ैर वे स्थान अधूरे मालूम होते थे।
(8) इस किताब में ह्यूरोन और बीवियों के मुताल्लिक़ जो हदीसें आई हैं
हमने उनको काफी हद तक नक़ल कर दिया है। उनके जो मायने उर्दू में मुनासिब थे उनको दर्ज किया गया है।
इन हदीसों या उनके तर्जुमे के बारे में अगर कोई यह ख़्याल करे कि उनमें किसी तरह कि अश्लीलता है
तो यह उसके अपने ज़ेहन कि पैदावार है। हदीसों का जो मज़नून है उसके अन्दर किसी तरह कि अश्लीलता नहीं
(9) जन्नत में जाने की और नेक आमाल का शौक़ दिलाने की यह एक कोशिश है,
खुदा करे कि आप इस किताब को पढ़ने के बाद जन्नत के और इन इनामात के हक़दार बन सकें।
(जन्नत के हसीन मनाज़िर, सफ़ा न० 53)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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