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Juma ki namaz padhane walon ke liye tanbeeh
जुमा जुमा नमाज़ पढ़ने वालों के लिए तंबीह
मुझे बताओ! यह इतना मजमा कहाँ से आ गया?
ये इसमें से एक तिहाई बाहर से आया होगा यह दो तिहाई तो सारा गुलिस्तान कालोनी का है।
इनके क़दम पाँच नमाज़ों में क्यों नहीं उठते?
ये कहाँ चले जाते है ?
क्या ये ज़मीन पर आठ दिन नहीं रहते?
क्या ये सिर्फ़ आठवें दिन अल्लाह कि हवा टनों टन अपने अन्दर ले जाते है?
क्या ये सिर्फ़ आठवें दिन अल्लाह के दिए हुए नूर से देखते है?
क्या ये सिर्फ़ आठवें दिन कानों से सुनते हैं?
क्या ये सिर्फ़ आठवें दिन अपने जिस्म की नेमतों से फ़ायदा उठाते हैं?
क्या ये सिर्फ़ आठवें दिन सूरज की रौशनी से फ़ायदा उठाते है?
क्या ये सिर्फ़ आठवें दिन तारों की झिलमिलाहट से नफ़ा उठाते है?
क्या ये सिर्फ़ आठवें दिन बीवी बच्चों के पास बैठते है?
इस पत्थर दिल को क्या हुआ?
क्यों नहीं इसके दरवाज़े पर दस्तक पहुँचती?
यह क्यों वीरान हो गया ? ऐसे तो पत्थर भी सख़्त नहीं ।
(मौलाना तारिक़ जमील साहब इबरत अंगेज़ बयानात सफ़ा न०:194)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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MASSALLAHA