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Allah Ka Farman Maqam Ibrahim Ki Namaz Ki Jagah Banao
अल्लाह का फरमान: “मक़ामे इब्राहीम को नमाज़ की जगह बनाओ”
इब्ने उम्र रज़ि. से रिवायत है
कि उनसे एक आदमी के बारे में सवाल किया गया,
जिसने अल्लाह के घर का तवाफ़ (चक्कर) किया और सफा और मरवा के बीच दौड़ा नहीं तो क्या वह अपनी बीवी के पास आ सकता है?
उन्होंने फ़रमाया कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) एक बार (मदीना से) तशरीफ लाये
तो सात बार बैतुल्लाह का तवाफ़ किया और मक़ामे इब्राहीम के पीछे दो रकअत नमाज़ पढ़ी।
फिर आपने सफा और मारवाह के बीच दौड़ लगाई।
यक़ीनन रसूलुल्लाह (की जिन्दगी) में तुम्हारे लिए बेहतरीन नमूना है।
इब्ने अब्बास रज़ि से रिवायत है,
उन्होंने फ़रमाया कि जब नबी (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) कअबा में दाखिल हुए तो आपने उसके सब कोनों में दुआ फ़रमाई।
बाहर निकलने तक कोई नमाज़ नहीं पढ़ी,
जब आप कअबा से बाहर तशरीफ़ लाये तो उसके सामने दो रकअत पढ़कर फरमाया, यही किब्ला है।
फायदे:
सही बात यह है कि रसूलुल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने बैतुल्लाह के अन्दर नमाज़ अदा की थी,
जैसा कि हज़रत बिलाल रज़ि का बयान है।
(औनुलबारी, 1/ 524)
(मुख्तसर सही बुखारी, सफ़ा न० 209)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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