JISNE QURAAN PADHA AUR APNE RAB TA’LA KI TAREEF
जिसने क़ुरआन पढ़ा और अपने रब तआला की तारीफ
जिसने क़ुरआन पढ़ा और अपने रब तआला की तारीफ की और नबी ए करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) पर दुरूद पढ़ा और अपने रब से
मग़फ़िरत तालाब की तो उसने खैर को उसकी जगह से तलाश करलिया.
(बैहक़ी शुबल ईमान)
उम्मुल मोमिनीन हज़रत आयेशा सिद्दीके (R.A) फरमाती हैं के:
एक सहाबी हुज़ूर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम), की किदमत ए अक़दस में हाज़िर होकर अर्ज़ गुज़र हुए:
या रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) आप मुझे मेरी जान, अहलो अयाल आवर औलाद से भी ज़्यादा महबूब हैं, जब मैं अपने घर में
होता हो तो आप को ही याद करता रहता हो आवर उस वक़्त तक चैन नहीं आता जब तक हाज़िर होकर आपकी ज़ियारत न करलो.
(ऐ मौजमल अयसत, हदीस नo:4771)
नबी ए करीम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया:
क़यामत के दिन मेरे सब से ज़्यादा क़रीब वो होंगे जो कसरत से मुझ पर दुरूद और सलाम पेश करते हैं.
(जमे तिर्मिज़ी, भाग:1, सफ़ा: 110)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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