HAZRAT DAWOOD KI DEATH PER LOGOUN KA DUKH:
हज़रत दावूद की मौत पर लोगोँ का दुख:
अवाम-उल-नास (लोग) हज़रात दावूद (A.S) के जनाज़े में शरीक हुए और धुप में बैठ गए.
सिर्फ 40,000 उलमा बानी इस्राएल थे. जनरल पब्लिक उस के इलावा थे.
बानी इस्राएल में हज़रात मुसाओ हारुन की वफ़ात के बाद अब तक इस क़दर दुःख और ग़म किसi की वफ़ात पर न हुआ था.
फिर लोगोँ को गर्मी और धुप ने परेशां किए ताऊ हज़रात सुलेमान से शिक्वाह किया के कोई गर्मी से बचाओ की तदबीर करें.
तो हज़रात सुलेमान निकले और बर्ड्स को आवाज़ दी तो बिरदस जमा हो गए.
फिर आप ने उन को लोगोँ पर साया करने का हुक्म फार्म आया.
तो तमाम बिरदस लोगोँ पर साया फगन हो गए.
और लोग एक दूसरे से चिमटे बैठे थे (tightly packed with eachother) और सूरत कुछ ऐसी हो गए थी के बिरदस ऊपर थे जिस से हवा रुक गए.
तो बानी इस्राएल ने फिर शिकवा क्या तो सुलेमान (A.s) ने बिरदस को हुक्म फ़रमाया के हवा के रुख (direction) से चाऊँ साया न करें,
बुल्के सूरज की तरफ साया डालें. तो बिरदस ने फ़ौरन हुक्म की तामील की. और फिर तमाम लोग साये और हवा में हो गए.
तो ये पहली निशानी और दलील थी जो लोगोँ ने हज़रात सुलेमान (A.S) की बादशाही के मुतालिक देखी
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