Madina Munavvara Ki Hajri Kaisi Karni Chahiye…?
मदीना मुनव्वरा की हजरी कैसे करनी चाहिए…?
हुज़ूर अकरम (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के रोज़ा ऐ अथर की ज़ियारत के बगैर जो शख्स वापस आ जाये हज तो उसका अदा हो गया लेकिन उसने बे मुरव्वती से काम लिया और ज़ियारते शरीफा की बरकात से महरूम रहा,
हदीस पाक में है,
जिस शख्स ने बैतुल्लाह शरीफ का हज किया और मेरी ज़ियारत को न आया उसने मुझसे बे मुरव्वती की
(रवाह इब्ने अदि)
रोज़ा ऐ अथर की ज़ियारत के आदाब
जमहूर अक़बरे उम्मत के नज़दीक रोज़ा ऐ शरीफ की ज़ियारत की भी नियत करे,
बारगाहे आली में सलाम पेश करने के बाद शफ़ाअत की दरख्वास्त करे,
क़िब्ला रुख होकर दुआए मांगे,
हिलने हसीन ” में है के,,
अगर आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ( की क़ब्र मुबारक) के पास दुआए क़ुबूल नहीं होंगी तो फिर कहा होंगी, ”
मदीना तय्यबा में दरूद शरीफ कसरत से पढ़ना चाहिए,
मस्जिदे नबवी में 40 नमाज़े तक्बीरे तहरीमा से अदा करना,
हज़रत अनस रज़िअल्लाहु अन्हु से रिवायत हे के आप (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया जिस शख्स ने मेरी मस्जिद में 40 नमाज़े इस तरह अदा की के उसकी कोई भी नमाज़ ( बा जमात) फौत न हो, उसके लिए दोज़ख से और अज़ाब से बरात लिखी जाएगी, और निफ़ाक़ से बरी होगा, ”
(मुसनद अहमद)
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अल्लाह तआला रब्बुल अज़ीम हम सब मुसलमान भाइयों को कहने, सुनने और सिर्फ पढ़ने से ज्यादा अमल करने की तौफीक अता फ़रमाये और हमारे रसूल नबी ए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की बताई हुई सुन्नतों और उनके बताये हुए रास्ते पर हम सबको चलने की तौफीक अता फ़रमाये (आमीन)।
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आमीन
►जज़ाकअल्लाह खैरन◄
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