Surah Al-Inshiqaq Ka Tarjuma
सूरह अल-इंशिकाक का तर्जुमा
क़ुरान का तर्जुमा पोस्ट न०-32
❨सूरह अल-इंशिकाक❩ पारा न0-30
इस सूरह में 25 आयत है, और ये सूरह मक्का में नाज़िल हुई है.
21 से 25 आयत इस पोस्ट में हैं.
शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से जो बड़े मेहरबान,निहायत रेहम वाले हैं.
21- और (जब उनके बैर और दुश्मनी की ये हालत है की) जब उनके सामने क़ुरान पढ़ा जाता है तो उस वक़्त भी अल्लाह ताला की तरफ नहीं झुकते,
(ये आयत सजदे वाली है लिहाज़ा इसको पढ़ने के बाद आप लोग सजदा अदा कर देना लेकिन एक बात का ख्याल रखना सजदा बा वज़ू अदा करना)
22- बल्कि ये काफिर (और उल्टा) झुट्लाते हैं,
23- और अल्लाह ताला को सब खबर है जो कुछ ये लोग (बुरे आमाल का ज़खीरा) जमा कर रहे हैं,
24- सो (उन कुफ्रिया आमाल के सबब) आप उन लोगो को एक दर्द-नाक अज़ाब की खबर दे दीजिये,
25- लेकिन जो ईमान लाये और उन्होंने अच्छे अमल किये, उनके लिए (आख़िरत में) ऐसा अज्र है, जो कभी मौक़ूफ़ होने वाला नहीं,
(तफ़्सीर इब्ने कसीर जिल्द 6,सफ़ा-604 (सिर्फ तर्जुमा लिखा जा रहा)
नोट
जो कभी मौक़ूफ़ होने वाला नहीं=यानी कभी ख़तम होने वाला नहीं,
ये सूरह भी मुक़म्मल हुई अल्हम्दुलिल्लाह
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आमीन
►जज़ाकअल्लाह खैरन◄
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