Haji Ke Zimme Haj Ki Qurbani Ke Alawa Bhi Qurbani Wajib Hai Kya
हाजी के ज़िम्मे हज की क़ुरबानी के अलावा भी क़ुरबानी वाजिब है क्या
सवालात-ऐ-हज पोस्ट न०-28
हाजी के ज़िम्मे हज की क़ुरबानी के अलावा भी क़ुरबानी वाजिब है क्या.?
हाजी जो क़ुरबानी करते है वो हज्जे तमत्तुआ या कीरन के शुक्राने की क़ुरबानी है
जिस ने हज्जे इफ्राद किया हो उस के ज़िम्मे ये क़ुरबानी नहीं है.
हाजी 10 वी ज़िल्हिज्जा को मक्का, मीना, मुज़दलीफ़ा में क़ियाम करता है
इन सब जगहों को मिलाकर 15, दिन या उस से ज़ैद क़ियाम की निय्यत है
तो ऐसा हाजी मुक़ीम समझा जायेगा लिहाज़ा उस पर क़ुरबानी वाजिब है
चाहे वहां करे या अपने वतन में करे. (इस तरह उस की दो क़ुरबानी वाजिब हुई)
अगर मक्का में (मीना और मुज़दलीफ़ा भी मक्का में शामिल हो गया है)
15 दिन या उस से ज़ैद थेरनी की निय्यत नहीं तो ये हाजी मुसाफिर है लिहाज़ा उस पर क़ुरबानी वाजिब नहीं.
(किताबुल मसाइल 3/331 से माखूज़)
ऐलान-ये मसला हाजियों को भेजा जाये या बताया जाये
आज कल बाज़ जगह औरतें भी हाजियों को रुखसत करने प्लेटफार्म या एयर पोर्ट पर जाती है शरीअत में इस का किया हुक्म है….?
हाजियों को रुखसत करने के नाम पर औरतों का प्लेटफार्म या एयर पोर्ट पर जाना मर्दों और औरतों का मेल जोल बे
पर्दगी, बाद निगाही वगैरह कई खराबियों के पैदा होने का सबब है.
लिहाज़ा इस को क़ती तौर पर -बिलकुल बंद कर देना चाहिए.
(फतवा रहीमियाह 8/136 से माखूज़)
अल्लाह तआला हमारी माँ बहनो को बगैर शरी उज़्र के घर से बहार ना निकलने की तौफ़ीक़ अत फरमाए आमीन
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